इतनी सी तो बात हैबात अक्सर इतनी सी ही होती हैजिसे वो अपनेआढ़े, तिरछे,बिना सिर पैर केतर्क वितर्क सेखींच तान करबना देती हैपहाड़ सीऔर वो इतनी सी बातइतनी सी कहां रह जाती हैवो क्यों चुप, स्थिर नहीं हो जातीक्यों जाने नहीं देतीसिर्फ़ इतनी सी बातएक बार ही सही।क्यों वो याद रखती हैइतनी सी कई बातें।उम्र…
इतनी सी बात
